डरती हूँ मैं
डरती हूँ मैं
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डरती हूँ मैं
पर दिखाती नहीं,
दिखाती नहीं
क्योंकि डरती हूँ
गिराई जाती हूँ हर बार
फिर भी दौड़ में शामिल हूँ
घबराती हूँ,पर जताती नहीं
जताती नहीं
क्योंकि हौसले की मिसाल हूँ
खुद गुमशुदा हूँ
और निकली हूँ
खुदी की तलाश में
अकेली हूँ, पर सहमी नहीं
सहमी नहीं
क्योंकि तूफान में जलती मशाल हूँ
मैं ही सिपाही, सिपेहसालार भी मैं ही
निहथी हूँ पर हारी नहीं
हारी नहीं
क्योंकि विजय का शंखनाद हूँ।
हाँ मैं डरती हूँ, पर दिखाती नहीं
दिखाती नहीं
क्योंकि मैं लोह की एक ढाल हूँ