STORYMIRROR

pooja nathawat

Others

2  

pooja nathawat

Others

पिंजरे की पंछी

पिंजरे की पंछी

1 min
926

यहां वहां यूँ हीं बैठे बैठे

ये कलम लिखने लगी है,                 

वो जो पिंजरे कि उदास

पंछी बेसुध पडी थी    

जाने कौन सी हवा है

कि वो गाने लगीं हैं,                

अब जो वो गाने लगी है

पिंजरा भी परेशान है        

कि कौन सी सलाख ढीली है    

जो ये उम्मीदों से भरने लगी हैं            


चलो पिंजरा बदल दो,      

बडी सलाखों वाला,

सुनहरे रंगों वाला

और बडा

एक साथी वाला                  

पर वो जो पिंजरे की पंछी

जो गाने लगी है       

वह गीत अकेले ही गाएं जाते है          

साथी के तो तेवर

मौसम से तेज बदल जाते है           

बस अब पिंजरा बदल दो

या बदल दो हवा,    

अब तो आंधी मे भी

उम्मीदो की लौ जलने लगी है,     

वो जो पिंजरे की उदास

पंछी बेसुध पडी थी,           

जाने कौन सी हवा है

जो वो गाने लगी है


Rate this content
Log in