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दामिनी का दर्द

दामिनी का दर्द

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क्यों चुप हो श्याम मौन धारण किये ,

क्यों कन्या बिकती हवस के लिए।

क्यों ये दरिंदे मरते नहीं ,

क्यों कन्याएँआज सुरक्षित नही।

क्यों ये आँसू गिरते है,

क्यों जमीर यूँ छिनते है।

ऐ श्याम  सुनो ये करुण पुकार,

अब बन्द करो ये हाहाकार।

दिल रो - रो आँहे भरता है,

ये दामिनी के दर्द को कहता है।

ना बूढ़ी सुखी,ना युवती सुखी,

अरे , आज तो बच्ची भी बिक चुकी।

कब तक चलेगा ये गन्दा खेल,

कब होगा जग में फिर से मेल ।।(2)


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