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Prachi Sharma

Inspirational

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Prachi Sharma

Inspirational

आज का समाज

आज का समाज

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यह अजब नजारा जग का है,

कोई हँसता है कोई रोता है।

कहीं कोई ठिठुरता सर्दी में,

कहीं आग लगी है गर्मी में।

कोई भूख से तड़प के मरता है,

कोई ऐ.सी में आहें भरता है।

किसकी कुर्सी -किसका है खेल,

सब रूपये - पैसे का है मेल।

कहीं आसूँ टप - टप गिरते है, 

कहीं क्लबो में ठट्ठे लगते है।

वाह री ! भारत की सरकारो ,

क्या खेल तुम्हारे चलते है।

कहीं कोई घूमे निर्वस्त्र यहाँ ,

कहीं कोई उठाये शस्त्र यहाँ।

कहीं झुग्गी - झोपडी जल्ती है,

हर मैच में फिक्सिंग चलती है।

अब बोलने वाला कोई नही ,

जनता जो चैन से सोती है।

 


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