चिड़िया
चिड़िया
हर चिड़िया गुगुनाती है,
तारक - अनार के दाने खाती है।
रोज़ सुबह जल्दी उठ जाती,
हमें भी उठाती है।
खाना ढूँढने दूर तक,
चीं - चीं करती जाती है।
क्या सूरत है उसकी,
जो यूँ ठुमक - ठुमक कर चलती है।
प्रकृति के दृश्य को,
और लुभावना बनाती है।
क्या नन्ही सी जान है वो,
जो मेहनत करती रहती है।
है चोंच है उसकी तीखी,
कैसे मीठी बोलियाँ गाती है।
वह चिड़िया ही है जो,
खूब हुड़दंग मचाती है।
