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Bhaskar Kavi

Romance

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Bhaskar Kavi

Romance

बुरा बुरा सा लगता है।

बुरा बुरा सा लगता है।

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तो वह भी नहीं पर फिर भी दिल दुखा देती है।

छत में वह बालों के साथ हमारे अरमां भी

सुखा देती है ।।

तब हरे भरे जख्मों पर छुरा- बुरा सा लगता है ।

और उससे बेवफा भी कहूं तो बुरा बुरा सा

लगता है ।।


पहली मुलाकात की भी अजब सी कहानी हो गई ।

मैं भी घंटों शर्माता रहा हूं भी पानी- पानी हो गई ।।


उस दिन कोशिश तो की उन्होंने मगर बहाना

नहीं आया।

दिल मांगना आया उनको चुराना नहीं आया ।।


उनके चेहरे का रंग आज तक उड़ा उड़ा सा

लगता है।

और उसे बेवफा भी कहूं तो बुरा -बुरा सा लगता है

तो बुरा बुरा सा लगता है ।।



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