बसंत सुहाना
बसंत सुहाना
देखो आया मौसम सुहाना है ,
ना सर्दी ना गर्मी का बहाना है।
आ गए नए पत्ते पेड़ों पर,
ना पतझड़ का मौसम वीराना है।
लग गए बोर आम के पेड़ पर,
पीला दुपट्टा सरसों ने पहना है।
नवजीवन मिला प्रकृति को ,
अब तो फूलों को खिल जाना है।
मीठी धूप में निखर जाए रंग,
दिल को छू जाये झोका पवन का।
पंछी करते हैं देखो मधुर कलरव,
देखो सबका मन कितना मतवाला है।
अब तो जानो इस ऋतु को तुम,
ये तो ऋतुओं का राजा मतवाला है।
मन में नई उमंग – उम्मीदें ले कर,
देखो वसंत का आया महीना है।