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Jyotsna Saxena

Abstract

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Jyotsna Saxena

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बंजारा मन

बंजारा मन

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बंजारा सा मन बड़ा,भटके हर वो देश 

चौरासी योनि भंवर, त्यागो अब ये वेश

 लोभ मोह जंजाल के काटो सब कलेश 

परहित धुन चलते चलो ईश्वर घर दरवेश

               


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