चौरासी योनि भंवर, त्यागो अब ये वेश चौरासी योनि भंवर, त्यागो अब ये वेश
नहीं वह मोहताज़ किसी का ख़ुशियाँ ही उसकी मोहताज़ ठहरी जब से हुआ है बेफिक्र रब ही करता उसकी ... नहीं वह मोहताज़ किसी का ख़ुशियाँ ही उसकी मोहताज़ ठहरी जब से हुआ है बेफिक्र...
ना दिन हुआ ना शाम ढली मसलसल एक सहमी सी रात थी। ना दिन हुआ ना शाम ढली मसलसल एक सहमी सी रात थी।
मान को सम्मान दो जनाधार को अभिमान दो। मान को सम्मान दो जनाधार को अभिमान दो।
ना खबर कोई ना दस्तक दिए मर्ज तो थी उनके दीदार की । ना खबर कोई ना दस्तक दिए मर्ज तो थी उनके दीदार की ।