"कविता"
"कविता"
विपरीत हवाओं में साहस की पतवार
तप्त रेत में मुस्कुराते मेघों की पदचाप
कुदरत का हर तिनका, अपने आप में है
एक कविता ---
मयूरी सा मन नर्तन , अदाकारी का उल्लास
गौरैया सा चहकना, चींटी सा विश्वास
बगुलों की धवल पांत, नभ में छापती है रोज
एक कविता---
गदराए पलाश,संवेदनाओं का ताप
कोयल आलाप,लहराते आम्रपल्लव
फागणी बयार में इतराती है
एक कविता ---
मुट्ठी में चांद , तारों की ओढ़नी
लबालब खुशी में ज्योत्सना
इंद्रधनुषी वितान में झुलाती है
एक कविता---
रस में रास में भक्ति और श्रंगार में
ओज हो सेज हो सुदामा का वेश हो
कान्हा की मुरलिया , बन जाती है
एक कविता ---
यक्ष यक्षिणी का शाश्वत संवाद हो
प्रणयी कपोत का स्पर्श नाद हो
दिगंतराल तक माधुर्य फैलाती है
एक कविता---