STORYMIRROR

Pooja Kaushik

Inspirational

0.6  

Pooja Kaushik

Inspirational

भाभी मां

भाभी मां

1 min
8.7K


घर के सुंदर सपनों को

ख़ुशियों की माला में

मोतियों सा जो पिरोने लगी है

सच है...

बच्चों की मां, घर की बहू

अब मोटी होने लगी है


जीवन की चुनौतियों से

अब थोड़ा थोड़ा

वो भी थमने लगी है

सच है...

बच्चों की मां, घर की बहू

अब मोटी होने लगी है


शायद ज़िम्मेदारियों के

बोझ के आगे अपने बढ़ते बोझ का

एहसास भी खोने लगी है

सच है...

बच्चों की मां, घर की बहू

अब मोटी होने लगी है


बच्चों का खेलना, बातों को झेलना

उसे हर बात से पहले

परिवार की पड़ी है

सच है...

बच्चों की मां, घर की बहू

अब मोटी होने लगी है


जिन आंखों में बसता था

प्यार का सागर

उनमें सुख दुख की

नदिया बहने लगी है

सच है...

बच्चों की मां, घर की बहू

अब मोटी होने लगी है


रोटियाँ बेलना, नखरे झेलना,

रसोई से बिस्तर की दूरी

उस ज़र ज़र होते शरीर को

खटकने लगी है

सच है...

बच्चों की मां, घर की बहू

अब मोटी होने लगी है


बच्चों को पढ़ाना, बाहर कमाना

घर और बाहर की दुनिया के बीच

अपना खोया अस्तित्व खोजने लगी है

सच है...

बच्चों की मां, घर की बहू

अब मोटी होने लगी है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational