बेवक्त किसी का जाना
बेवक्त किसी का जाना
जो दूर चले जाते, कब लौट के आते हैं।
वो याद बहुत आते, बेवक्त जो जाते हैं।
वर्षों की इबादत को, इक पल में तोड़ गये।
तन्हाई की आग में यूँ, जलने को छोड़ गये।
बुझती ही नहीं ये आग, हम बहुत बुझाते हैं।
वे याद बहुत आते, बेवक्त जो जाते हैं।
हमें आज जरूरत थी, तेरे सहारे की।
और तुम निकले बेवफा, कि दुनिया ही छोड़ गये।
हृदय में बसा कर तुम, आंखों को दिये सपने।
क्या मुझसे हुई थी खता, कि रिश्ते ही तोड़ गये।
तू लौट के आ मेरे मित, हम तुझे बुलाते हैं।
वो याद बहुत आते, बेवक्त जो जाते हैं।
मेरा सपना टूट गया, मेरा सब कुछ लूट गया।
आशायें टूट गई, मेरा किस्मत फुट गया।
है कहाँ सुहाना पल, अब कहाँ सबेरा है।
सूझता ही नहीं है कुछ, घनघोर अँधेरा है।
हम उनकी यादों की, अब शमा जलाते हैं।
वे याद बहुत आते, बेवक्त जो जाते हैं।
