बेटी
बेटी


हाँ माँ, मैं बेटी हूँ,
डरती क्यूँ हैं, मैं तो बहुत छोटी हूँ
चाहती हूँ मैं तो बस तेरा प्यार,
कर रही हूँ कब से, इसी का इंतज़ार
आँचल ममता का मुझ पर भी रख दे,
क्या मैं इतनी खोटी हूँ
हाँ माँ , मैं बेटी हूँ,
डरती क्यूँ हैं, मैं तो बहुत छोटी हूँ
चिंता किसकी है, किसका है डर,
सब ठीक होगा, थोड़ा इंतज़ार तो कर,
हिम्मत है मुझमें भी,
बन सकती मैं भी बुढ़ापे की लाठी हूँ
हाँ माँ, मैं बेटी हूँ,
डरती क्यूँ हैं, मैं तो बहुत छोटी हूँ
कविता हूँ तुम्हारी, तुम्हारी ही तो कल्पना हूँ,
गंगा हूँ तुम्हारी, तुम्हारी ही तो जमना हूँ,
धरा भी मैं हूँ, मैं ही तो हिमालय की चोटी हूँ
हाँ माँ, मैं बेटी हूँ,
डरती क्यूँ हैं, मैं तो बहुत छोटी हूँ।