STORYMIRROR

Charu Diwan

Children

4  

Charu Diwan

Children

बेटी

बेटी

1 min
625

आज भी इस समाज में

इस सदी इस राज में

लड़की या लड़का

जब भी यह प्रश्न उठता ?


मैं रह जाती हूं हैरान

क्या बेटों से ही है सारी शान ?

क्यू हैं वो सब मान के हकदार

जो बन नहीं सकते मेरे पहरेदार


जब भी माता पिता कराते लिंग की जांच

अंदर बैठी मैं विचलित हो जाती

जैसे आने को है मेरे अस्तित्व पर आंच

 कुल का नाम चले बेटों से

 जबकि कुल की लाज बचे बेटी से


फिर क्यूं मुझे आगे बढ़ने से

रोकते हो अपने प्रश्नों से

मुझे भी मौका देकर देखो

कैसे पंख फैलाऊंगी


कल्पना चावला किरण बेदी बन

खूब नाम रोशन कराऊंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children