Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Hitu Arya

Tragedy

5.0  

Hitu Arya

Tragedy

बेटी - कन्या या बोझ

बेटी - कन्या या बोझ

2 mins
509



आज फिर किसी घर में मैं जन्म लूंगी,

आज फिर कोई मुझे लक्ष्मी बुलाएगा,

आज फिर किसी और घर में शोक

का आलम होगा,

आज फिर कोई बाप मुझे हाथ भी

ना लगाएगा।

 

किसी घर मेरा बाप मेरा स्कूल में

दाखिला कराएगा,

किसी घर मेरा वो जन्मदिन भी मनाएगा,

तो किसी घर मैं आज भी किसी को रास

ना आऊंगी,

कोई मुझे अपने सीने से ना लगाएगा।


किसी घर मुझे कोई शिद्दत से पढ़ाएगा,

किसी घर मैं अफ़सर भी बन जाऊंगी,

पर फिर भी समाज में बहुत लोग मुझे

ऐसी नज़रों से देखेंगे,

कि मैं सिर्फ घर की ही रह जाऊंगी।


किसी घर मुझे मेरा बाप उम्र से पहले

दुल्हन बनाएगा,

अपने घर की रौनक को किसी और के

आंगन दे आएगा,

कोई मुझे बोझ समझ के पैसे बहुत

लगाएगा,

कोई मेरी खुशी के लिए मेरे पति को

राजा बनाएगा।


किसी घर मैं बहू कहलाऊंगी,

कोई मुझे बेटी सा गले लगाएगा,

कोई मुझे जी भर के प्यार देगा,

कोई मुझसे सिर्फ अपने काम कराएगा।


किसी रोज़ किसी को मेरी स्कर्ट रास

ना आएगी,

कोई मेरी साड़ी को भी नज़र लगाएगा,

किसी रोज़ किसी को मेरी आज़ादी से

दिक्कत होगी,

कोई मुझे बुर्के में भी हाथ लगाएगा।


किसी रोज़ कोई मुझे धर्म के नाम पे सताएगा,

कोई मेरी आवाज़ को फिर दबाएगा,

किसी रोज़ कोई मुझे अपनी बीवी समझकर,

मुझपे अपना बेमतलब हक जताएगा।


आज मैं समाज के दल दल से निकलना

चाहती हूं,

मुझपे चिल्लाने वालों पे दहाड़ना चाहती हूं,

है मानो प्यार से भी अब नफ़रत मुझे,

मैं सिर्फ मेरी इज्ज़त करने वालों को प्यार

देना जानती हूं।


है ये ईश्वर का चक्र कुछ ऐसा कि

औरत को सताने वाले 

को कल बेटी फ़िर मिल जाएगी,

जो उठता था औरत पे हाथ आज,

उसे बेटी ही सबक कल सिखाएगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy