बेटी ही बचाएगी
बेटी ही बचाएगी


बात करेगी तारों से
शूल-फूल बहारों से
ना कष्टों से घबराएगी
ना प्रफुल्लित होगी नजारों से
बस बढ़ती ही जाएगी
बेटी ही बचाएगी।।
तोड़ेगी सब दीवारों को
जीतेगी सब अंधियारों को
ना निज सपनों को ठुकराएगी
ना मन व्यापारों को अपनाएगी
बस गाती ही जाएगी
बेटी ही बचाएगी।।
बेटी सागर की गहराई है
आकाश की ऊँचाई है
समझो इस गहराई को
अपनाओ इस ऊंचाई को
तब तुम को पता चलेगा
बेटी जग की सब अच्छाई है
जब-जब दुनिया बिखरेगी
तब-तब इस दुनिया को
बस बेटी ही सजाएगी
बेटी ही बचाएगी।।