STORYMIRROR

Shilpa Sekhar

Abstract

3  

Shilpa Sekhar

Abstract

बेजुबान प्यार

बेजुबान प्यार

1 min
11.7K

कभी कभी हम है ये सोचा करते,

कितना कुछ कह के भी वो हमें क्यों नहीं समझते...


लड़ते झगड़ते है क्यों हम हमेशा,

छोटी सी बात का क्यों करते तमाशा?


जब भी किसी जानवर को देखूं,

उसके बरताव के बारे में सोचूं..


बिना किसी शब्द के वो सब कुछ कह जाए,

अपने साथी को सब कुछ समझाए..


भूख प्यास से जब भी तड़पें,

साथ सहते वो सब मिल के...


जब मिले कुछ भी खाने को‌‌,

थोड़ा ही सही पर दे वो सब को...


बिन वजह वो ना किसी पे करें वार,

मिल जुल के रहें जैसे हो एक परिवार...


इंसान से ज्यादा तो जानवर समझदार,

कितना सुलझा हुआ है इनका बेजुबान प्यार!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract