Riya Jain

Inspirational

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बेजुबान जानवर

बेजुबान जानवर

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यह जानवर है बेज़ुबान,

इंसानों की नीयत से है अनजान ,

जानवरों को मरने छोड़ देते हैं,

इंसानो के रूप में हैं ये हैवान।

जब लाते है इन्हे घर पर,

करते हैं बड़ा दुलार,

पर जब निकल जाता मतलब,

छोड़ देते मरने सड़को पर लात मार।

ठगा सा रह जाता है बेचारा जानवर !


मुस्लिम ईद मनाते है खुशियों से,

पर बकरे के हिस्से में मौत दे देते हो क्यों ?

कुर्बानी देनी है तो अपनी दो,

इस बेज़ुबान से कुर्बानी लेते हो क्यों ?

क्या ख़ुशी मनाने से रोकता है ये जानवर !


बरसो तक तुम्हे दूध ये देती ,

परिवार का पेट भरती रहती ,

उस भूखे बछड़े का हिस्सा भी तुमने ले लिया ,

बूढी होने पर लाचार गाय को कसाई के हाथों बेच दिया ,

मालिक के स्वार्थ और लालच पर हैरान है यह जानवर !


अरे इंसान तेरे ज़ुल्मों का नहीं कोई इंतेहा ,

चाहे जानवर जिए या मरे तुझे नहीं है परवाह,

सड़क पर विचरते जानवरो को ,

आते-जाते गाड़ियों से यूँ ही रोंद देते हो।

इन्सानो की करतूतों को झेल रहा बेचारा जानवर !


तुमने कभी यह नहीं सोचा ,

की उनमें भी है परमात्मा का अंश ,

जिस्म , दिल और दिमाग उनमे भी है ,

भले ही छोटा ही सही ,

लेते तो है वे भी सांस ,

क्या उन्हें जीने का हक़ नहीं ?

यही प्रश्न पूछ रहा है आज जानवर !


कौन कहता है की उनमे समझ नहीं,

इंसानों से अधिक समझ वो रखते हैं ,

कौन कहता है उनमें ज़ज्बात नहीं ,

इंसानों से ज़ायदा ज़ज्बाती वो होते हैं ,

इंसान तो इंसान होकर भी इंसान ना रहा अब।

मगर इंसान ना होकर भी इंसानियत को समझता है जानवर !


कहीं किसी को चोट न लग जाए ,

कहीं किसी का घर न हो जाये ध्वस्त ,

यही सोचा होगा उसने जो नहीं गरजी वो ,

और जाकर तोड़ दिया पानी में ही अपना दम ,

क्या कसूर था उस हाथी का ?

क्या पाप किया था उस नन्ही जान ने ?

वो जान ने ज़मीन पर पैर भी नहीं रखे थे ,

और तुमने ले ली अपनी मस्ती के लिए उसकी जान रे।

ऐसी क्रूरता देख कर भौचक्का रह गया है जानवर !


कभी ख़ुशी तो कभी कभी बलि के बहाने ,

की जाए तो वो हत्या ही है ,

सड़कों में भटकने को छोड़ देना ,

उसके निस्वार्थ सेवा की ह्त्या ही है ,

किसी भी बहाने से की जाए ,

बेशक वो हत्या ही है ,

जंगल में रहने वाले जीवों का शिकार ,

वो भी तो हत्या ही है,

उनकी ह्त्या के बाद अनाथ नन्हे बच्चों का बिलख कर भूखे मर जाना ,

इंसान ! यह तुम्हारे ज़मीर की ह्त्या ही तो है || खुद को प्रभु की नज़र से गिराते हो क्यों ?

बेजुबान मासूम संतान को सताते हो क्यों ?

दया करो अपना स्नेह दो इन्हें.

तुम्हारे प्यार दुलार के भूखे हैं ये ,

इस पृथ्वी पर रहने का है अधिकार इन्हें ,

फिर यह जीव की ह्त्या करते हो क्यों ?

तुमसे रहम की भीख मांगता है जानवर !


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