बदलाव
बदलाव
कुछ बीते दिनों में
इस तरह बदली हूँ
खुद को जाना है
अपने आप को पहचाना है।
लड़ रही हूँ काँटों से
मुँह मोड़ चुकी हूँ
उन घावों से।
नकाब के पीछे के चेहरे
अब ना छिपते हैं
क्या गलत क्या सही
अब ना सोचते हैं।
ना जाने आगे
कौन सा मोड़ है
मेरी हिम्मत के सामने
ये कमजोर है।
अब हारने पर
चोट ना सहलाती हूँ
उसमें छिपी सीख को
अपनाती हूँ।
लोगो का साथ छूटा है
पर अकेलापन उबरा है।।
