बचपन की दिवाली
बचपन की दिवाली
जगमग-जगमग देख मिट्टी के दीयों की कतार
याद आता है मुझे पुराना वो दिवाली का त्यौहार।
यही समय माँ सुनती थी सब बच्चों की मनुहार
पापा ले आते थे पटाखे भर झोली दो चार
नमकीन, पोहे, मठरी, चकली बनते थे मीठे के कई प्रकार
याद आता है मुझे पुराना वो दिवाली का त्यौहार।
झिलमिल रोशनी से सजाने को घर आँगन और द्वार
होड़ लग जाती थी बच्चों में जुट जाता था परिवार
एक दीया तुलसी संग जलते थे दो हर किवार
याद आता है मुझे पुराना वो दिवाली का त्यौहार।
बिन बीन नागिन नाचती चक्कर घूमता था घर बाहर
फुलझड़ियों के बीच रोशन हो चमक उठता था अनार
राकेट उड़ाने हेतु बटोर लाते थे सारा भंगार
याद आता है मुझे पुराना वो दिवाली का त्यौहार।
मिट्टी के किले बनते सजता था सारा दरबार
हर कोने खड़ा सिपाही चौकन्ना चप्पे-चप्पे पर पहरेदार
पूरे किले की निगरानी करता था मिट्टी का सूबेदार
याद आता है मुझे पुराना वो दिवाली का त्यौहार।
जगमग जगमग देख मिट्टी के दीयों की कतार
याद आता है मुझे पुराना वो दिवाली का त्यौहार
याद आता है मुझे पुराना वो दिवाली का त्यौहार।