बातें भी सफर करती हैं
बातें भी सफर करती हैं
कभी खुले कानों से,
कभी दबी जुबानों से गुजरती हैं
बातें भी सफर करतीं हैं।
जाने किस पेट में मिला है नींबू,
दिल मे खटास करती हैं
नियतों में मिलावट करती हैं,
हर पल ये हमको छलती हैं
बातें भी सफर करती हैं।
कभी "बंद दिलों" से,
कभी तंग दिमागों से गुजरती हैं
बातें भी सफर करती हैं।
हर ठहराव दोमुंहा है,
तभी तो नहीं रुकती हैं
जाने कौन सी कीलें लगीं हैं,
छेद हज़ार करती हैं
बातें भी सफर करती हैं।
कभी खुले कानों से,
कभी दबी जुबानों से गुजरती हैं
बातें भी सफर करती हैं।।
