STORYMIRROR

Phool Singh

Inspirational

4  

Phool Singh

Inspirational

बारिश की एक बूंद

बारिश की एक बूंद

1 min
353


घने-काले बादलों से निकल बूंद, जब

सपनों में, अनगिनत खो जाती है

कहाँ गिरूंगी कैसे गिरूंगी

सोच-सोच घबराती है ||


क्या गिरूंगी, फूल पराग में

या धुल संग मिल जाऊँगी

कहीं बनूँगी, ओस का मोती

मनमोहक, मैं बन जाऊँगी ||


कहीं बनूँ, जीवन आधार मैं

जीव की प्यास बुझाऊंगी

या जा गिरूंगी धधकती ज्वाला

क्षणभर में ही जल जाऊँगी ||


कहीं गिरूंगी जल तरंगिणी

धारा में उसकी मिल जाऊँगी

या जा गिरूंगी समुद्र के जल में

लहरों में ही खो जाऊँगी ||


बूंद धरा पर गिरने से पहले

कितने जीवन जी लेती है

जा गिरती जब ईश्वर चरण में

शृद्धा सुमन बन जाती है||


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational