बारिश और मेरा नजरिया...
बारिश और मेरा नजरिया...
बरसात के मौसम में,
सब कुछ नया सा लगता है,
हर बार बादल से गिरती बूंदो का,
अंदाज़ अलग सा लगता है।
पेड़ -पौधे और चिड़िया,
एक मनमोहक सा दृश्य बनाती है,
और इस दृश्य में लग जाते है चार चाँद,
जब मिट्टी की खुशबू आती है...
किसी के लिए प्यारा सा एहसास है बारिश,
किसी के लिए दर्द से कम नहीं,
क्योंकि जब देर से पहुँचो ऑफिस,
तो बॉस किसी गरजते बादल से कम नहीं...
हर बरसात से जुड़ी, हर किसी की प्रेम कहानी है,
कभी टूटते, तो कभी जुड़ते रिश्तो की ये कहानी है...
खैर छोड़ो ये तो रिश्ते है,
इंसानो के बदलते भी है, और बिगड़ते भी,
चढ़ते भी है और ढलते भी,
लेकिन एक रिश्ता है सालो पुराना,
जो आज भी चल रहा है...
जब भी होता है बरसात का मौसम
हर घर में चाय उबल रही है और
कोई पकौड़ा तल रहा है...
मोर भी इस मौसम में
अपने पंख फैला कर लहरा रहे है,
और बारिश की बूंदो के साथ
ताल से ताल मिला रहे है...
ऐसे सुन्दर नज़ारे,
ना जाने हमने कितनी बार देखे है,
फिर भी क्यों हम नज़रअंदाज़ कर जाते है,
उन्हें जो कड़वा सच है इस समाज का
जो फिरते है दर-बदर
क्योंकि है वो बेघर...
एक बार अपना नज़रिया बदल के तो देखो,
इस बरसात किसी का सहारा बन के तो देखो...
जो संतोष और ख़ुशी किसी की मदद करने में मिलेगी,
वो मरे हुए रिश्तो को ज़िंदा रखने में नहीं...