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NEHA SHARMA

Abstract

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NEHA SHARMA

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बालक सा मन

बालक सा मन

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बालक सा मन अब कहाँ से आता है,

बात बात पे बच्चे हो क्यों इन सब में टोका जाता है,

अपनी उम्र से छोटी बातें मत करो

यही हर बार हमें समझाया जाता है,

अब बालक सा मन कहाँ से आता है!


गुज़र गयी अपनों में खुदी को बड़ा करते करते

छोटी सरल बातें अब कहाँ समझ आती है,

फिर वही "प्रौढ़ता" मे लाया जाता है

बालक सा मन अब कहाँ से आता है!


काश वही दिन वापस आ जाये 

इन सब बातों में उलझ जाता है

बड़ो की उन बातों को अनसुना करके,

मगर अब कान लगा कर सब सुनना पड़ता है,

बालक सा मन अब कहाँ से आता है !


कुछ किया फिर वही लाया जाता है, 

छोटी सी भूल फिरसे वही पाठ पढ़ाया जाता है ,

"बच्चे नहीं हो" फिर वही महसूस करवाया जाता है,

बालक सा मन अब कहाँ से आता है!


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