बाई
बाई
वो सुबह कभी तो आएगी
जब बाई घंटी बजायगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जब बाई घंटी बजायगी
तब तक आदत ऐसी पढ़ जाएगी
कि बाई फिर रास नहीं आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जब बाई घंटी बजायगी
एक्कीस दिन क्या पूरे इक्तीस दिन यही कह जाएगी
कि पगार मैडम मैं घर से ही ले जाऊँगी
मगर फिर भी
मगर फिर भी
मैं काम आप ही से करवाऊँगी
वो सुबह ना जाने अब कब आएगी
जब बाई घंटी बजायगी