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Suman Rajput

Abstract

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Suman Rajput

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अज़ीब कश्मकश है - ज़िन्दगी

अज़ीब कश्मकश है - ज़िन्दगी

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कुछ लोग करीब रहकर भी करीब नहीं होते,

कुछ दूरियों में भी दिलों से फांसले नही होते ।

कुछ रहकर भी नजर नहीं आते,

कुछ विदा होकर भी यादों से नहीं जाते।

कभी फूल भी चुभन दे जाते हैं, 

कभी कांटे भी ज़ख्मो पे मरहम बन जाते हैं।

कभी शीतल हवा के झोंके चोट पहुचाते हैं,

कभी आँधियों में प्यार के सन्देश उड़े चले आते हैं।

कभी अपने ही दिल को तोड़ जाते हैं,

कभी पराये भी जीवन भर साथ निभा जाते हैं।

कभी चांदनी रात ही दिल जला देती है,

कभी जुगनूं की टिमटिम दिल को बहलाती है।

अजीब कशमकश है ज़िन्दगी,

 कभी हँसाती है, कभी रुलाती है।

क्या है ज़िन्दगी, क्या किसी को कभी समझ आती है?

                    


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