अपनी मर्जी की कीमत
अपनी मर्जी की कीमत
बेअसर नहीं कुछ असर भी नहीं,
जिंदगी ने मेरी मुझे रेत से लगा दिया।
गरुर जो कुछ था वो बंदगी ने मिटा दिया,
ये भी अच्छा है हकीकत से रूबरू करा दिया।
नकाब पहने खुद की पहचान से अनजान जो में आइना देखती थी,
गिरा परदा तो नजरें उठीं सहमी डरी फिर सच से मिली।
न खास कुछ भी नहीं मुझमें औरों से जुदा कुछ भी नहीं मुझमें,
सबक मिला आँखें खुली यहाँ आकर कुछ सीख मिली।
भ्रम मिट गये सपने के संसार से वास्तविकता में आ खड़े हुए,
सीखा बस यही अभी कुछ भी नहीं इम्तिहां शुरु हुये हैं।
मुड़ के ना देख आगे चले जा,
जो आये सामने उसे हँस के सहे जा।
बुरा न मानना अपनी मर्जी की कीमत है,
पहला फैसला जो अपने आप लिया है तूने
आगे ऐसे अनेकों की जरूरत है।
अपनी नजरों में अपना किरदार स्वच्छ रखना,
ऊपर वाले की डायरी में
अच्छाई की स्याही से अपना व्यक्तित्व लिखना।।