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Arti Kumari

Abstract

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Arti Kumari

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अपना बचपन याद आ गया

अपना बचपन याद आ गया

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अल्हड़ मस्ती उन्माद छा गया 

अपना बचपन याद आ गया।


वही सरसों की पीली क्यारी

टेढ़ी मेडे़, टूटी आड़ी

चौपालो पर हँसी-ठहक्का

खेले बच्चे गुल्ली-डंडा

पीपल बरगद ताल आ गया

अपना बचपन याद आ गया।


वही औरतों का जमघट पनघट

शिकवा शिकायत प्यार-मोहब्बत

चैती कजरी झूमर सोहर

होली ईद दीवाली के संग

हँसी-छेड़ दुलार आ गया

अपना बचपन याद आ गया।


वही चौधराईन की एक बगिया

जिसमें मिलते सामा चकिया

चोरी छिपे अमराई में

मिलकर खाते फल सब सखिया

इमली अँवरा स्वाद आ गया

अपना बचपन याद आ गया।


वही काका की टूटी खटिया

हुक्का-चिलम थारी लुटिया

किस्से कहानी सलाह मशविरा

हिंदू मुस्लिम भाई की एकता

रिश्तों की मुस्कान आ गया

अपना बचपन याद आ गया।


जी करता फिर दोहराऊँ मैं

आजादी के दिन वो सुन्दर

सुख दुख के जो पल हैं गुजरे

लिखूँ मैं उनके गीत मनोरम

जगी चेतना, विचार आ गया

अपना बचपन याद आ गया।


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