Shri om sharma
Classics
तमाम उम्र उसके
लिबास की हिफ़ाज़त
करता रहा मैं।
उसने हर वो
शख्स आजमाया
जो जिस्म को तार तार
करता रहा।
रुखसत
अपना अपना प्य...
चित से जो खुश है,उसको दिखता सब कुछ है। यहीं है खुशियों की चाभी इस जग में। चित से जो खुश है,उसको दिखता सब कुछ है। यहीं है खुशियों की चाभी इस जग में।
कहीं डूब ना जाये कश्ती मझधार में ही पलक झपकते ! कहीं डूब ना जाये कश्ती मझधार में ही पलक झपकते !
जलना है जीवन में ए'क दिन फिर बाती सा बुझ जाना है। जलना है जीवन में ए'क दिन फिर बाती सा बुझ जाना है।
जो बित गई सो बात गई। लेकिन अब हमें गलतियों को दुहराना नहीं ! बल्कि पर्यावरण के लिए कु जो बित गई सो बात गई। लेकिन अब हमें गलतियों को दुहराना नहीं ! बल्कि पर्यावरण ...
नवमे नवमे नोरते सिद्धिदात्री मां आप आओ। आओ रे मां आओ हम संग नवरात्रि मनाओ। नवमे नवमे नोरते सिद्धिदात्री मां आप आओ। आओ रे मां आओ हम संग नवरात्रि मनाओ।
भ्रम को सारे हम मिल भ्रम तोड़ेंगे पर जलना होगा दीप की भाँति इस अंधेरे में जगकर रात भर भ्रम को सारे हम मिल भ्रम तोड़ेंगे पर जलना होगा दीप की भाँति इस अंधेरे में ...
वादा कर अगले दिन फिर आने की सजीली प्रकृति मेें अपने हीं गुम।। वादा कर अगले दिन फिर आने की सजीली प्रकृति मेें अपने हीं गुम।।
यूं ही मिटा दिए जाते हैं उनके निशान भी उसमे बाकी रह जाते हैं। यूं ही मिटा दिए जाते हैं उनके निशान भी उसमे बाकी रह जाते हैं।
अब वक्त ज़ाया ना कर यक़ीनन तेरे अंदर अजर अमर असीम बसा। अब वक्त ज़ाया ना कर यक़ीनन तेरे अंदर अजर अमर असीम बसा।
मैं उसे हरपल याद करता हूँ और रहूंगी क्या ये कम नहीं हाँ क्या ये कम नहीं ! मैं उसे हरपल याद करता हूँ और रहूंगी क्या ये कम नहीं हाँ क्या ये कम नहीं !
गौरवमय है यह गंभीर, राघव के चरणाम्बुज धीर। गौरवमय है यह गंभीर, राघव के चरणाम्बुज धीर।
लेकिन वैैक्सीन नेे आकर, इसेे दुुनिया से दूर भगाया। लेकिन वैैक्सीन नेे आकर, इसेे दुुनिया से दूर भगाया।
खंडहर सा हो गया है यह जिश्म , अब तो रूह भी नया पता चाहती है। खंडहर सा हो गया है यह जिश्म , अब तो रूह भी नया पता चाहती है।
रावण मरा नही मार्याद बाणों का प्रहार रावण राम से युद्ध गया हार ।। रावण मरा नही मार्याद बाणों का प्रहार रावण राम से युद्ध गया हार ।।
तब वो राम से मरना चाहता था। अब राम को मारना चाहता है। तब वो राम से मरना चाहता था। अब राम को मारना चाहता है।
पानी की रेल चली, पनघट की ठाँव में। पानी की रेल चली, पनघट की ठाँव में।
देखे तुम्हीं को ये तन्हाई हमारी। रोये नयन जब याद में तुम्हारी। देखे तुम्हीं को ये तन्हाई हमारी। रोये नयन जब याद में तुम्हारी।
भौरें खुश होकर गुंजन करते। पास में सदा तुम्हारे रहते। भौरें खुश होकर गुंजन करते। पास में सदा तुम्हारे रहते।
इस खुदगरज दुनिया से दूरिया बनाने दो मुझे मेरे ख्वाबों और ख्यालों की दुनिया मे रहने दो। इस खुदगरज दुनिया से दूरिया बनाने दो मुझे मेरे ख्वाबों और ख्यालों की दुनिया मे...
अवसान हुआ बुरे कर्म का, यही इस पर्व का मर्म।। अवसान हुआ बुरे कर्म का, यही इस पर्व का मर्म।।