अनुभव
अनुभव
कीचड़ पार करने केा दो ईटों ले लेना
दूसरी ईटों पर खुद का साधते हुए
पहली को उठाकर आगे रख देना
इसी तरह
पहली को दूसरी दूसरी को पहली बनाते हुए
पार करने का कीचड़ का सैलाब
मां ने सिखाया था
मां की सीख थी
क्यों न मान लेती
और बाॅध लेती अपने आंचल की कोर में
इसी गनीतीय फार्मूले के तहत
मैने शुरू किया था जिन्दगी का सफर
मां अनुभवी थी
निष्कर्ष वर्षो के ज्ञान से जनमे थे
अविश्वास कैसे करती
वक्त बीता
बड़ी होती रही मैं
जाने कितने बरस बीत गये
तभी पता चला कि
दो और दो पॅाच करती
इस शती में
मुश्किल है दो ईटों से कीचड़ पार कर लेना
आज तो
ईटें भी खोखली हो गयी है
अधपकी कच्ची
बाहरी रंग रूप् में लाल
भीतर से मात्र मिटटी
कीचड़ में डाल दो
पाॅव रखो तो कीचड़ में धॅस कीचड़ बन जाती
कीचड़ भी बदल गयी है दलदल में
आज तो
शब्दों के अर्थ तलक बदल गये है
और अर्थ भी तो वे नहीें रहे जे शब्द कोष में दिये है
इस दलदल को पार करने को
कौन सी दो ईटों खोजूॅ
कि पहली को दूसरी और दूसरी को पहली बनाकर
तय कर लूॅ ये सफर
मां से पछना तो चाहती हूॅ पर मां है कहां?