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Talib Husain'rehbar'

Abstract

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Talib Husain'rehbar'

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अनजान सफर

अनजान सफर

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दूर कहीं किसी राह पर

चलते हुए

मिल जाते हैं


कईं पल

हँसते- रोते खिलखिलाते हुए पल

बागों में टहलते

और

नदियों में तैरते पल

नए हमराह नए हमराही


मिल ही जाते हैं

बाँटते हैं अपने पल

कभी फैला बाहों का आकाश

लुटा देते है सारा संसार

मिल ही जाते हैं

ऐसे कई पल

खेतों में फसलों के रंगों में


आमों के अमझर में

सरसों की चमक में

फूलों की महक में

अनकहे अनगिनत मिल जाते हैं पल

इस अनजाने सफर में।


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