Amar Singh

Inspirational

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Amar Singh

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अमर दोहे

अमर दोहे

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मन सागर सा धीर है, मन पीपल का पात।

मन पूनम सा पाक है, मन मावस की रात।।


मन उपजे मृदु कामना, मन ही उपजे छंद।

मन ही डाले बेड़ियाँ, मन ही खोले बंध।।


मन मानव श्रृंगार है, मन ही है भरतार।

मन ही देता हौसला, मन ही देता हार।।


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