अलग जादू
अलग जादू
आओ आज थोड़ा अलग जादू सिखाएं तुम्हें
समंदर के खारे पानी को मीठा बनाना सिखाएं तुम्हें
विष अमृत के बीच का सादा घोल पिलाएं तुम्हें
काला सफेद मिले जहां वो रंग सलेटी दिखाएं तुम्हें,
आधा सच, थोड़ा भ्रम कुछ झूठ में मिलावट है
तेज क्रोध की आंधी संग शांत वर्षा की आहट है
ज्वाला से जलते मंजर में जब होश मानव खोता है
उसी मंजर पर महकता आशा उपवन दिखाएं तुम्हें,
रंग बिरंगी दुनियां की कुछ अलग सी फितरत है
जितनी भागूं दूर सबसे उतनी आती करीब है
घनी भीड़ में कुछ उससे निकले अलग से चेहरे
इन श्रेष्ठ चेहरों की चमकती कहानी सुनाऊं तुम्हें,
पंछी जीव कुछ कैद में घुटते कुछ घूमते आजाद हैं
कोयल जितनी सांस खींचे अंदर उतनी ऊंची हूक है
शेर सिंह तस्वीर बना अब मानव खुद ही शेर है
ईर्ष्या द्वेष के चाल चलन से मानवता हुई ढेर है,
उलट पलट दुनिया के कुछ अलग ही मिजाज़ हैं
इन अजब गज़ब पहलू से आज रूबरू कराऊं तुम्हें
ऐसी दुनियां में जीने का अभ्यास कराएं तुम्हें
आओ आज थोड़ा अलग जादू सिखाएं तुम्हें।