ऐसे क्यों होते हैं लोग
ऐसे क्यों होते हैं लोग
ऐसे क्यों होते हैंं लोग -2
जाति-धर्म का जाल बिछाकर, मजे मौज से करते हैं
इनको शायद पता नहीं हैं, इसमें कितने मरते हैं।
राजनीति के चक्कर में हैं, आपस में बंटवाते लोग
ऐसे क्यों....।
देते हैं उपदेश सभी को, बात धर्म की करते हैं
पाखंडो की राह में जाकर, गलत कर्म ये करते हैं।
एक क्षणिक आनंद के खातिर, क्या से क्या कर देते लोग
ऐसे क्यों.....।
जिन पर हम विश्वास हैं करते, वही दगा देख जाते हैं
छोटी-छोटी गलती पर भी, बड़ी सजा दे जाते हैं।
अपनापन का ढोंग बनाकर, गला रेत क्यों देते लोग
ऐसे क्यों....।
अगर बचाना हैं भारत तो, तुम छोड़ो इस रीति को
मानवता की बात बताकर फैलाओ इस गीत को।
कहते गौतम देश में उनसे, जितने आते -जाते लोग
ऐसे क्यों....।