ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी कभी स्वपन,
बुनने का मुझे भी मौका दे।
बचपन के अठखेलियों में छूटा,
बाबुल के घर बीता नटखट जमाना।
अनगिनत खुशियाँ देकर बस,
मेरे जीवन को सजाते रहना।
जीवन का जब पथ चुनूँ,
पथ से मत हाथ छूड़ा लेना।
बस ढूँढ़ती हूँ, वो एक सवेरा,
जिसमें नजर आए बस सात रंग,
न चाहूँ, हो मेरी दुनिया बेरंग
बंद मतकर देना वो दरवाजा।
जिदगीं में हो,
बस खुशियों का आना
ऐ जिंदगी कभी स्वपन,
बुनने का मौका मुझे भी दे।
उड़ते पंछी नभ में,
पकड़ सकते नहीं उसे।
वही विहंग बनना चाहूँ,
ऐसी जिंदगी दे मुझे।
नदियाँ बहती धरा पर,
खुश होता मन देख।
वही नदी बनना चाहूँ,
न खीच मेरे आगे, कोई ऐसी रेखा।
साथ न छोड़ देना, ऐ जिंदगी,
तुझसे है, उमीदें काफी,
गगन है, जितना ऊँचा
बस रखना जिंदगी
मेरी उतनी बाकी।