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jassimar Vohra

Fantasy

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jassimar Vohra

Fantasy

अधूरी ख्वाहिशें

अधूरी ख्वाहिशें

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ज़िन्दगी में कुछ ख्वाहिशें ख्वाब बनकर रह जाती है,

जब भी इनका ज़िक्र होता है आँखों से अश्क बन  बह जाती है।

खुली आँखों से इन ख्वाहिशों के पूरे होने के ख्वाब बुनती हूँ,

जानती हूँ पूरे नहीं होगे ये ख्वाब,फिर भी इन्हें ही चुनती हूँ ।

दिल में आज भी एक एहसास है,

शायद इन ख्वाहिशों के पूरे होने की आज भी एक आस है।

जानती हूँ ये सिर्फ कुछ ख्वाहिशें है जो कि अधूरी है,

पर शायद ज़िन्दगी जीने के लिए ये अधूरी सी ख्वाहिशें भी जरूरी है।


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