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Hansraj Priyadarshi

Inspirational

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Hansraj Priyadarshi

Inspirational

अभिमन्यु

अभिमन्यु

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दैव की इच्छा विरुद्ध , आज युद्ध हो गया।

बह रक्त शौर्यवीर का, रण आज शुद्ध हो गया।

मस्तकों पर नृत्य करता काल, आज क्रुद्ध हो गया।


एक किशोर लड़ रहा, स्वक्षात्र धर्म निभा रहा।

सप्त महारथियों को, एक अर्जुनपुत्र डरा रहा।

ले ह्रदय में सिंह- ध्येय, सौभद्र एकदम डटा रहा।


लिख दिया काल ने मस्तक पर, आज रण भीषण होगा।

अपनों के ही हथियारों से, आज युवक का तर्पण होगा।

अब धरती भी कांप रही, भूमंडल भी अब सजल होगा।


चहुंओर से हवा चली, बादल भी अब गरज रहा।

अपनों के घातक वारों से वह सिंह, अब भूमि पर तड़प रहा।

अरे सिंह भी तड़पा है कहीं, वह तो भूमि पर गरज रहा।


वीरों के छल को देख, वह किशोर दुत्कार रहा होगा।

इन कपटी वीरों का सिर, अपने पिता से वह मांग रहा होगा।

रणभूमि को देकर गौरव, वह स्वर्ग निहार रहा होगा।


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