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Sudhir Srivastava

Comedy

4  

Sudhir Srivastava

Comedy

अब हाथ मल रहे हैं

अब हाथ मल रहे हैं

2 mins
18


बाइस जनवरी दो हजार चौबीस को

जब करोड़ों करोड़ राम भक्तों का सपना पूरा हो गया,

तब भी कुछ धार्मिक और राजनीतिक 

रोटियां सेंकने वालों के स्वर शांत नहीं हो रहे।


क्योंकि धार्मिक कट्टरता और स्वार्थी राजनीति

उन्हें ऐसा करने के लिए लगातार प्रेरित कर रहे,

हिंदू हों या मुस्लिम सबको कुछ लोग गुमराह कर रहे,

धार्मिक विषाद भड़काने की लगातार कोशिश कर रहे 

सुप्रीम आदेश को भी ग़लत ठहरा रहे हैं,


बाबरी मस्जिद को छीनने की बात कहकर

साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का निरंतर प्रयास कर रहे

जो खुद को ही पक्का रामानुरागी बता रहे हैं।

बेशर्मी इतनी कि खुद को ब्रम्हांड का सबसे बड़ा 

बुद्धिमान, ज्ञानी और पाक साफ बता रहे।


कानून, संविधान, नियमानुसार मिले न्याय को

पक्षपात और जबरदस्ती का खेल कहकर

अभी भी रोज ही बेसुरा राग गाते नहीं थक रहे।

अपने ही लोगों को वे कुछ नहीं समझ रहे

उनकी समझ पर भी सवाल उठा रहे,

कुछ कट्टरपंथी, स्वार्थी, धर्म की आड़ में

भोले भाले, सीधे साधे लोगों में जहर भर रहे,

अंगूर खट्टे हैं का स्वाद ही जो नहीं जान पा रहे।


तो कुछ ऐसे भी हैं जो राम मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा पर

अभी तक विधवा विलाप का प्रलाप कर 

अपना ही खून जलाकर संतोष कर रहे हैं,

दो कदम आगे एक कदम पीछे चलते हुए लड़खड़ा रहे,

जो राम को जानते समझते हैं,


उनसे प्रेम करते, उनमें भक्ति और श्रद्धाभाव रखते हैं,

वे अपना कर्तव्य, अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझ रहे हैं

चुपचाप अपना काम कर आनंद मगन हो रहे हैं,

राम जी को अंर्तमन की नजर से देखते हैं

प्राण प्रतिष्ठा में आने को सबसे बड़ा सौभाग्य मानते हैं


जो निमंत्रण मिलने पर उसका अपमान नहीं करते 

और न ही निमंत्रण को राजनीति का मुद्दा बना रहे।

और अब जब राम जी के भव्य प्राण प्रतिष्ठा का

समूची दुनिया भर में गुणगान हो रहा है,

देश का मान सम्मान आसमान पर पहुंच गया है।


तब भी कुछ लोग खीझ निकाल रहे हैं,

आँखों वाले अंधे बन गुमराह हो रहे हैं

दरअसल वे सब विरोधी ही आज 

सबसे ज्यादा पछताते हुए हाथ मल रहे हैं,

राम जी की नजरों में कलयुग के रावण बन गये हैं।


पर क्या फर्क पड़ता है उनके इस उछलकूद से

अब तो हम सबके प्रभु श्रीराम जी

भव्य राम मंदिर में भव्यता से प्राण प्रतिष्ठित होकर

मोहक बालरुप में बाल सुलभ मुस्कान बिखेर रहे हैं,


चीखने चिल्लाने और आरोप लगाने वाले

अब सिर्फ खीझ निकाल कर खुद को तसल्ली दे रहे हैं

जन मानस की नजरों में हंसी का पात्र बन रहे हैं,

राम किन किन के हैं वे सब आज भी

बहुत अच्छे से जान, समझ रहे हैं,


अकेले में जय श्री राम बोलकर

अपने अपराध कम करने का नया प्रयोग रहे हैं। 


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