आज़ाद
आज़ाद
आजमैं आज़ाद होना चाहती हूँँ
आसमान को छूना चाहती हूँँ
में हर गली में घूमना चाहती हूँँ
बहुत हुआ घर का काम
अब कुछ पल में आराम चाहती हूँँ
छत पर बेठ कर घंटो
तारों को गिनना चाहती हूँँ
बन कर पंछी
आज फुदकना चाहती हूँँ
बहुत हो गयी डांट
हर वक्त किसी का साथ
इस पिंजरे से में
आज छूटना चाहती हूँँ
हैं आंसू छिपे इन आँखों में
दिल में दर्द हैं हजार
आज में फूटना चाहती हूँँ
बनकर छोटी सी बच्ची
आज में उछलना चाहती हूँँ।