आया है दशहरा
आया है दशहरा
विजय सत्य की हुई है हमेशा
बुराई हमेशा हारी है
आया है दशहरा
करता सबका बलाई है
रावण था घमंडी और अभिमानी
उसने छल से सीता मैया को हरा था
अपने बुरे कर्मो से अपने पूरे कुम्भ को गंवाया था
अपनी ही करनी से अपनी सोने की लंका को जलवाया था
यह किस्सा है तो पुराना
मगर सीख आज भी है वही
बुराई की होती है हार
और सच्चाई की होती है जीत
रावण तब भी हारा था आज भी हारेगा
हर एक इंसान के अंधर होता है एक रावण और राम है
इंसान के ऊपर होता है वोक्या बनना चाहे
इस दशहरा अपने अंदर के रावण को मारो और
दुनिया मे खुशियाँ ही खुशियाँ फैलाओ।