आवाज़
आवाज़
समय के कपाल पर अब कर्म से प्रहार कर,
पहचान बन शौर्य का एक नया प्रकाश भर।
समय के प्रवाह पर आज की पहचान रच,
जो कभी न मिट सके वो अमिट निशान रख।
निज कदम के चाल से तू समय को ढाल दे,
दुश्मनों के वार पर एक आमिट पहचान दे।
वक्त की तकदीर पर शौर्य के समशीर से,
देश के अधिकार में स्वर्णमय इतिहास दे।
जाग जाग जाग फिर वक्त की आवाज पर
तू स्वयं के कर्म से विश्व का आगाज कर।