आकांक्षा
आकांक्षा
मां तेरा उपकार बहुत है जो जन्म यहां है पाएं,
सोच रहा मां तेरे चरणों में , क्या हम भेट चढ़ाएं?
सीमा पर बन प्रहरी तेरे, रक्षा में यौवन भेंट चढ़ाएं,
दुश्मन के हुंकार पर मां!, रण जीत तिरंगा लहराएं।
युद्ध भूमि में मां मिटकर, फतह नाम तेरे कर जाएं,
मेरे रक्त कतरा कतरा मां!, इस मिट्टी में मिल जाए।
भोर में उगते सूरज की किरणें, चूमने धरा को आएं,
किरणों संग मिलकर मां, हम रंग केसरिया बिखराएं।
शौर्यपूर्ण निज कर्म से मां!, तेरा गौरव भाल सजाएं,
काश! बलिदानी गाथा में, मेरा नाम अमर कर पाएं।
श्रम बिंदु मेरा माटी में मिल, वैभवी उज्ज्वलता लाएं,
भूख मिटाए जन जीवन में, शांति का संदेशा पहुंचाएं।
अंत में बन मैं राख ढेरी, नदियों में धारा संग बह जाए,
पाकर साथ इस माटी का, हरियाली बन फिर लहराए।
बार बार मिटकर भी मां तेरा, मोह नहीं इस मन से जाए,
स्वर्ग त्याग हर भोर किरण संग, चूम धरा को सुख पाएं।