आशियाने की चाहत
आशियाने की चाहत
आशियाने की तमन्ना तो हर किसी को होती है।
किसी को जन्म से ही मिल जाता है ,
और किसी को बहुत संघर्षों के बाद मिलता है ।।
कोई इमारतें बनाता है , कोई गुफाएँ बनाता है ।
और कोई कहीं पर भी अपना घोंसला बना लेता है ।।
छत तो आश्रमों के ऊपर भी होती है ,लेकिन फिर भी ,
अनाथ बच्चे अपनत्व की लालसा रखते है ।।
नर्सरी में उपजा पौधा भी किसी वासिंदे की बाट
जोहता है कि , आएगा कोई खुदा का बंदा और मुझे मेरे घर में जगह देगा ।
एक बड़े से गमले में लगाएगा मुझे ,
और मैं एक स्थायित्व घर का अहसास कर इतराऊगाँ ।