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suman singh

Abstract

4.7  

suman singh

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जिंदगी पर असर

जिंदगी पर असर

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एक वह पल था, जब हम नासमझ कहलाते थे,

और अपनेआप को समझदार मानते थे।


एक यह पल है, जब हम समझदार कहलाते है,

और अपनेआपको नासमझ बताते है।


जिज्ञासाएं पहले भी होती थी मन में, 

जिज्ञासाएं आज भी होती है मन में।


भविष्य को जब उज्ज्वल देखते थे लेकिन,

रास्तों का पता नहीं था।


भविष्य को अब स्पष्ट देखते है और,

रास्तें भी सभी खोज लिए है।


जब बच्चे थे तब बड़े होने के लिए उत्ससुक्त थे

अब बड़े है तो बचपन को सुखद एहसास मानते है।


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