भेदभाव
भेदभाव
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सकुचाती सी आती है बारिश,
शायद इन्सानों के मन के भावों को
जानती है बारिश।
गरीबों के लिए खुशहाली और,
अमीरों के लिए मुसीबत लाती है बारिश।
गरीबों के लिए आशाएं और ,
अमीरों के लिए कीचड़ लाती है बारिश।
देख काली घटाएं किसान,
अपने हल-बीज समेटने लगता है,
वहीं घटाएं देख अमीर,
अपने खिड़की-दरवाजें बंद कर लेता है।
गलियारों में भरा बारिश का पानी भी
असमंजस में रहता है,
पता नहीं सही हूँ या गलत, ये तय नहीं
कर पाता हूँ,
कुछ नंगे बच्चे नाचते नजर आते है लेकिन ,
सूट-बूट पहने बच्चों को माताएं गंदा पानी
कहकर खींच ले जाती है ।