आशिकी.
आशिकी.
हम भी किसी की आशिकी थे
आशिक़ कोई हमारा था
चाहा था किसी ने हमको भी
अपनी जान से ज्यादा था
वो चाहत के चुनिन्दा पल
किसी ने संग गुज़ारे थे
जो आज किनारा करते है
उन्होंने हमें पुकारा था...!
हम भी किसी की आशिकी थे
आशिक़ कोई हमारा था
चाहा था किसी ने हमको भी
अपनी जान से ज्यादा था
वो चाहत के चुनिन्दा पल
किसी ने संग गुज़ारे थे
जो आज किनारा करते है
उन्होंने हमें पुकारा था...!