आम नागरिक
आम नागरिक
मैं अपने देश का नागरिक कितना अच्छा
ना चोर ना बेईमान सीधा सच्चा।
मुझे सिर्फ अपने काम से मतलब
ना इधर ना उधर,
हाँ जब भी देखता चोरी, भ्रष्टाचार
मुझे आता ज़बरदस्त गुस्सा।
अपने घर में अखबार पढ़ते हुए
मैं नेताओं को गालियाँ देता जमकर ,
पर यदि सडक़ पर,मेरे सामने हो कोई हादसा,
तो मैं निकल जाता जल्दी से आँख चुरा कर।
मैं सिर्फ आलोचना का अधिकार रखता हूँ
ना मेरा कोई कर्तव्य, ना जिम्मा
मैं कोसता हूँ कुरसी पर बैठे लोगों को
पर बचता आया हूँ अपनी जिम्मेदारी से
मेरे पास न समय है ना साधन
क्योंकि मैं तो एक सीधा साधा आम नागरिक हूँ।
