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मैं प्रेम की गंगोत्री बनी रही , क्योंकि प्रकृति प्रदत्त, अमर वरदान है मुझे ,मुझसे है अस्तित्व प्रेम ... मैं प्रेम की गंगोत्री बनी रही , क्योंकि प्रकृति प्रदत्त, अमर वरदान है मुझे ,मुझस...
ना इधर ना उधर, हाँ जब भी देखता चोरी, भ्रष्टाचार मुझे आता ज़बरदस्त गुस्सा। ना इधर ना उधर, हाँ जब भी देखता चोरी, भ्रष्टाचार मुझे आता ज़बरदस्त गुस्सा।