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Dr. SHAKSHI KUMARI

Abstract

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Dr. SHAKSHI KUMARI

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आखिरी विदाई

आखिरी विदाई

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आज दिल चाहता है मुझे नहलाया जाए 

नहला कर मुझे सफेद कपड़ा ओढ़ाया जाए 

आंखे बंद हों मेरी और हर किसी को बुलाया जाए


यार दोस्त रिश्ते नाते प्रेम प्यार संसार के

इन बंधनो से मुझे मुक्त कराया जाए 

अब कोई नहीं इस घर आंगन में मैं किसी का

कुछ भी मुझे इस घर से दूर ले जाया जाए 


मैं सोती रहूं यूंही आंख मूंदे मुझे अर्थी पे लिटाया जाए 

की मेरी आखरी विदाई हो और मुझे कंधो पर उठाया जाए

आगे तो मालूम है तुम्हे क्या करना है

ठंडा पड़ गया है शरीर अब इसे जलाया जाए। 


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