आजादी ये जहां से
आजादी ये जहां से
कुछ ग़ज़ल आप की है,
कुछ ग़ज़ल मेहमाँ सवालों की है, ए…दर्द,²
ए...दर्द तासीर, हमारी सवाल की है।
जग मुस्कुराहट, मुस्कुराया, मुस्कुराया ये जहां...,
पल भर की अंगड़ाई,ये जहां की है।
पल कुछ, और पल, और... जलती स़मा,²तो
मोहब्बत-ए-इश़्क की होती,
जुग़लबन्दी...
और कहूं क्या आजादी²,
हम कफ़न ले,
मुस्कुराते चलते है,
हमारे लिए।
रंग चादर लहू से अपनी,
मोहब्बत-ए-इश़्क ,
के नाम,किए चलते है।
दर्द रहता सीने मे,पर ...²
मुस्कुराता चेहरा दिखता ज़माने में।
मुल्क़ से इश़्क... मुल्क़ से इश़्क... हमारी,²जन्नत-ए-जहां है,
क़यामत से क़यामत तक,हमारा इश़्क...
क़यामत से,क़यामत
तक,हमारा इश़्क...
इश़्क का आफ़तुर ,परछाई बन,जहां में है।
और ग़ज़ल...हमारी,²
हर के सीने से गुजर रहा है।
और कहूं क्या आजादी,
तुम बिन मै बेजान...
मिट्टी का रेत बिखर रहा हूँ।²
चाह है मेरा चाह है तुम्हारा,
चाहत, चिलमन से आते...
जलती सम़ा की रौशन पर,
थमती सांसो पर, हो
इक ग़ज़ल और...,²
इश़्क - ऐ - मुह़ब्बते - ऐ-जहां की
और...
बस, इन रंगो से,
लिपट जांऊ, लिपट जांऊ,
लिपट जाए , बन के कफ़न।
और² चेहरा चमके, हो मिट्टी से सना, या ना
और मेरे शव से लिपट... मुस्कुराता रहे,
मेरा कफ़न...
चाहूँ क्या तुमसे और... ऐ ...
ऐसी हो मेरी आजादी,
इस जहाँ से।